Moksha Path Rahasya [Moksha Path Mystery]
Original Recording - Voice of Sirshree
カートのアイテムが多すぎます
カートに追加できませんでした。
ウィッシュリストに追加できませんでした。
ほしい物リストの削除に失敗しました。
ポッドキャストのフォローに失敗しました
ポッドキャストのフォロー解除に失敗しました
Audible会員プラン 無料体験
-
ナレーター:
-
Sirshree
-
著者:
-
Sirshree
このコンテンツについて
मोक्ष से जुड़ी मान्यताओं ने उसे कठिन बना दिया है। लोग सोचते हैं यह कलयुग है। आज किसी को मोक्ष नहीं मिल सकता क्योंकि आज कोई ऋषि-मुनियों की तरह घोर तप नहीं करता। जिन्होंने ये मान्यताएँ बनाईं इस कल्पना से बनाई कि मोक्ष सिर्फ मृत्यु के बाद ही मिलता है और उन्हें ही मिलता है, जो कठिन साधनाएँ करते हैं।मोक्ष की असली परिभाषा समझ में आए तो इसे पाना हरेक के लिए संभव है। इसके लिए हिमालय पर जाकर घोर तप करने की ज़रूरत नहीं है। इसी जीवन में, संसार में रहते हुए, इंसान मोक्ष पा सकता है। इसके लिए मोक्ष क्या है, यह समझना आवश्यक है।
मोक्ष आंतरिक अवस्था है, जो पाना अध्यात्म की राह पर चलनेवालों का परमलक्ष्य है। यह अवस्था भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, गुरुनानक, संत तुकाराम, मीरा आदि को प्राप्त हुई थी। इनमें आत्मज्ञान जागा और इन्होंने जीवन के परमसत्य को जाना। उनके जीवन का उद्देश्य सफल हुआ। इसे ही मोक्ष कहा गया है।
मोक्ष मन के परे की अवस्था है और हमारा मन ही इसे पाने में सबसे बड़ी बाधा है। मन मोक्ष की कल्पना करता है। अध्यात्म में कहा जाता है कि मोक्ष को कल्पना में नहीं बिठाया जा सकता और न ही उसका शब्दों में वर्णन किया जा सकता है। उसे पाकर ही जाना जा सकता है।मन नकारात्मक भाव लाता है, जिससे इंसान सुख-दुःख के फेरे में फँस जाता है। मगर अध्यात्म कहता है, सुख-दुःख के चक्कर से मुक्ति ही मोक्ष है।
मन अपने कार्य का श्रेय लेना चाहता है। श्रेय से अहंभाव जगता है। इंसान खुद कोे तब तक श्रेष्ठ मानता रहता है, जब तक वह अपने से किसी श्रेष्ठ से नहीं मिलता। ऐसा होने पर उसका अहंकार मिटता है। अध्यात्म कहता है, अहंकार का बनना-मिटना समाप्त होना मोक्ष है।
मोक्ष पाने के अनेक मार्ग हैं, जैसे नाम सिमरन, भक्ति, संन्यास मार्ग, ध्यान आदि। ये सारे मार्ग अंततः मन के परे जाकर आत्मज्ञान जगाने के लिए ही हैं।
Please note: This audiobook is in Hindi.
©2020 Tejgyan Global Foundation (P)2020 Tejgyan Global Foundation