• अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा

  • 2024/10/29
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अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा

  • サマリー

  • अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा

    जलप्रलय के बाद नूह कई वर्षों तक जीवित रहा। धीरे धीरे पृथ्वी फिर मनुष्यों से भर गई, परन्तु जैसे जैसे वे संख्या में बढ़ते गए, वे एक बार फिर पापी और परमेश्‍वर के विद्रोही बन गए। परमेश्‍वर के बदले आराधना करने के लिए वे मूर्त्तियाँ बनाने लगे और इस तरह कुछ सौ वर्षों बाद ही, दुनिया फिर अन्धकार की गहराई में समा गई और पूरी तरह पाप से भर गई। तब परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ताओं के द्वारा फिर से चेतावनी देनी आरम्भ की, कि वह पापी मनुष्यों को दुबारा दण्ड देगा। भविष्यवक्‍ताओं ने परमेश्‍वर से सन्देश पाकर लोगों को पापों से पश्‍चात्ताप करने के लिए कहा, लेकिन लोगों ने उनसे घृणा की, उन्हें सताया और कइयों की तो हत्या भी कर दी। परन्तु परमेश्‍वर जो मनुष्यों से प्रेम करता है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी दुनिया में लगातार इन भविष्यवक्‍ताओं को भेजता रहा।

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あらすじ・解説

अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा

जलप्रलय के बाद नूह कई वर्षों तक जीवित रहा। धीरे धीरे पृथ्वी फिर मनुष्यों से भर गई, परन्तु जैसे जैसे वे संख्या में बढ़ते गए, वे एक बार फिर पापी और परमेश्‍वर के विद्रोही बन गए। परमेश्‍वर के बदले आराधना करने के लिए वे मूर्त्तियाँ बनाने लगे और इस तरह कुछ सौ वर्षों बाद ही, दुनिया फिर अन्धकार की गहराई में समा गई और पूरी तरह पाप से भर गई। तब परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ताओं के द्वारा फिर से चेतावनी देनी आरम्भ की, कि वह पापी मनुष्यों को दुबारा दण्ड देगा। भविष्यवक्‍ताओं ने परमेश्‍वर से सन्देश पाकर लोगों को पापों से पश्‍चात्ताप करने के लिए कहा, लेकिन लोगों ने उनसे घृणा की, उन्हें सताया और कइयों की तो हत्या भी कर दी। परन्तु परमेश्‍वर जो मनुष्यों से प्रेम करता है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी दुनिया में लगातार इन भविष्यवक्‍ताओं को भेजता रहा।

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