• अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य

  • 2024/10/29
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अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य

  • サマリー

  • अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य

    आज के दिन भी यीशु के कहे गए शब्दों से लोगों के दिल छिद जाते हैं, क्योंकि उनमें धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता और शुद्धता है। लेकिन यीशु ने सिर्फ़ सुन्दर-सुन्दर शब्द ही नहीं बोले, उसने अपने चेलों से यह नहीं कहा, “मेरी शिक्षाओं पर चलो,” उसने कहा, “मेरे पीछे चलो!” इसी तरह, यीशु के विश्‍वासियों को भी अपने जीवन के द्वारा आदर्श दिखाना है, धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता, प्रेम और शुद्धता को दर्शाना चाहिए, उन्हें पैसे और सम्पत्ति का लालच नहीं होना चाहिए, लोगों से प्रशंसा और आदर पाने की भूख नहीं होनी चाहिए, और शक्ति या अधिकार से दूसरों पर हुकूमत करने की चाहत नहीं होनी चाहिए। हमारा आदर्श यीशु है।

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あらすじ・解説

अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य

आज के दिन भी यीशु के कहे गए शब्दों से लोगों के दिल छिद जाते हैं, क्योंकि उनमें धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता और शुद्धता है। लेकिन यीशु ने सिर्फ़ सुन्दर-सुन्दर शब्द ही नहीं बोले, उसने अपने चेलों से यह नहीं कहा, “मेरी शिक्षाओं पर चलो,” उसने कहा, “मेरे पीछे चलो!” इसी तरह, यीशु के विश्‍वासियों को भी अपने जीवन के द्वारा आदर्श दिखाना है, धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता, प्रेम और शुद्धता को दर्शाना चाहिए, उन्हें पैसे और सम्पत्ति का लालच नहीं होना चाहिए, लोगों से प्रशंसा और आदर पाने की भूख नहीं होनी चाहिए, और शक्ति या अधिकार से दूसरों पर हुकूमत करने की चाहत नहीं होनी चाहिए। हमारा आदर्श यीशु है।

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