• एक चिट्ठी की बदौलत कैसे आ गए ट्रेनों में टॉयलेट्स?: इति इतिहास, EP 192

  • 2025/04/12
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एक चिट्ठी की बदौलत कैसे आ गए ट्रेनों में टॉयलेट्स?: इति इतिहास, EP 192

  • サマリー

  • पुराने ज़माने में न सोशल मीडिया था, न मोबाइल. किसी दोस्त का हाल जानना हो या ऑफिस का काम निपटाना हो, तो चिट्ठी ही सबसे बड़ा सहारा थी. लेकिन एक बार एक ऐसी चिट्ठी लिखी गई, जो सिर्फ बात करने के लिए नहीं थी बल्कि उसने इतिहास ही बदल दिया. इस चिट्ठी की वजह से आज भारतीय रेल की हर बोगी में शौचालय मौजूद हैं. है न हैरानी की बात? कटहल की सब्जी, तेज़ गर्मी और लंबे सफर के इस कॉम्बिनेशन ने एक मुसाफिर को मजबूर कर दिया कि वो अपनी तकलीफ रेलवे को लिख भेजे. उसने जो चिट्ठी भेजी, वो इतनी असरदार थी कि रेलवे को आखिरकार ट्रेनों में टॉयलेट बनवाने पड़े. सुनिए ‘इति इतिहास’ में.
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あらすじ・解説

पुराने ज़माने में न सोशल मीडिया था, न मोबाइल. किसी दोस्त का हाल जानना हो या ऑफिस का काम निपटाना हो, तो चिट्ठी ही सबसे बड़ा सहारा थी. लेकिन एक बार एक ऐसी चिट्ठी लिखी गई, जो सिर्फ बात करने के लिए नहीं थी बल्कि उसने इतिहास ही बदल दिया. इस चिट्ठी की वजह से आज भारतीय रेल की हर बोगी में शौचालय मौजूद हैं. है न हैरानी की बात? कटहल की सब्जी, तेज़ गर्मी और लंबे सफर के इस कॉम्बिनेशन ने एक मुसाफिर को मजबूर कर दिया कि वो अपनी तकलीफ रेलवे को लिख भेजे. उसने जो चिट्ठी भेजी, वो इतनी असरदार थी कि रेलवे को आखिरकार ट्रेनों में टॉयलेट बनवाने पड़े. सुनिए ‘इति इतिहास’ में.

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