• दस वर्ग

  • 2022/08/05
  • 再生時間: 2 分
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  • サマリー

  • मंत्री, राष्ट्र, दुर्ग, कोष और दण्ड - ये पाँच प्रकृति कहे गए हैं। अपने और शत्रु पक्ष के मिलाकर इन्हें दस वर्ग कहा जाता है। अपने पक्ष में इनकी अधिकता से बढ़ोत्तरी होती है और इनकी कमी से घाटा। यदि दोनों पक्ष में ये समान हों को यथास्थिति कायम रहती है। कोशस्योपार्जनरतिर्यमवैश्रवणोपमः। वेत्ता च दशवर्गस्य स्थानवृद्धिक्षयात्मनः।। राजा को न्याय करने में यम के समान और धन अर्जन में कुबेर के समान होना चाहिये। राजा को स्थान, वृद्धि और क्षय के अनुरूप दस वर्गों का सदा ध्यान रखना चाहिये। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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あらすじ・解説

मंत्री, राष्ट्र, दुर्ग, कोष और दण्ड - ये पाँच प्रकृति कहे गए हैं। अपने और शत्रु पक्ष के मिलाकर इन्हें दस वर्ग कहा जाता है। अपने पक्ष में इनकी अधिकता से बढ़ोत्तरी होती है और इनकी कमी से घाटा। यदि दोनों पक्ष में ये समान हों को यथास्थिति कायम रहती है। कोशस्योपार्जनरतिर्यमवैश्रवणोपमः। वेत्ता च दशवर्गस्य स्थानवृद्धिक्षयात्मनः।। राजा को न्याय करने में यम के समान और धन अर्जन में कुबेर के समान होना चाहिये। राजा को स्थान, वृद्धि और क्षय के अनुरूप दस वर्गों का सदा ध्यान रखना चाहिये। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices

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