• 2. हमारा प्रभु जिसने हमारे लिए दुःख सहा (यशायाह ५२:१३-५३:९)

  • 2022/12/09
  • 再生時間: 44 分
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2. हमारा प्रभु जिसने हमारे लिए दुःख सहा (यशायाह ५२:१३-५३:९)

  • サマリー

  • यह युग अन्त की ओर आगे बढ़ रहा है। राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, सब कुछ अन्त की ओर जा रहा है। विशेष रूप से, युध्ध की हवा बड़ी तेजी से फ़ैल रही है, क्योंकि महाशक्तियाँ अभी भी दुनिया के बाकी हिस्सों में अपना प्रभाव बढाने की कोशिश कराती है। मेरे घर के पास में ही, उत्तर कोरिया ने हाल ही में यह घोषित किया की, वे परमाणु हथियार बना रहे है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में खलबली मच गई है। संकट-ग्रस्त दुनिया के ऐसे समय में, मैं केवल यह आशा कर सकता हूं कि इन विवादों में शामिल हर कोई अपने सभी मुद्दों को बुद्धिमत्ता के साथ सुलझाएगा, मूर्खता में नहीं, और एक-दूसरे के साथ मिलेगा ताकि सभी एक साथ समृद्ध हो सकें।

     

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あらすじ・解説

यह युग अन्त की ओर आगे बढ़ रहा है। राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, सब कुछ अन्त की ओर जा रहा है। विशेष रूप से, युध्ध की हवा बड़ी तेजी से फ़ैल रही है, क्योंकि महाशक्तियाँ अभी भी दुनिया के बाकी हिस्सों में अपना प्रभाव बढाने की कोशिश कराती है। मेरे घर के पास में ही, उत्तर कोरिया ने हाल ही में यह घोषित किया की, वे परमाणु हथियार बना रहे है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में खलबली मच गई है। संकट-ग्रस्त दुनिया के ऐसे समय में, मैं केवल यह आशा कर सकता हूं कि इन विवादों में शामिल हर कोई अपने सभी मुद्दों को बुद्धिमत्ता के साथ सुलझाएगा, मूर्खता में नहीं, और एक-दूसरे के साथ मिलेगा ताकि सभी एक साथ समृद्ध हो सकें।

 

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