• राणा को धुंदली सी याद है जब उसके पिता उसे टैक्सी स्टैंड पर बिठा चॉकलेट लेने गए और फिर कभी नही लौटे।

  • 2021/01/16
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राणा को धुंदली सी याद है जब उसके पिता उसे टैक्सी स्टैंड पर बिठा चॉकलेट लेने गए और फिर कभी नही लौटे।

  • サマリー

  • राणा को बहुत धुंदली से याद है वह बरसात का मौसम था जब उसके पापा उसको उस छोटे से कसबे के टैक्सी स्टैंड के पास बैठा कर उसे यह बोल गए थे की वो अभी आ रहे हैं उसके लिए चोलेट लेकर और फिर वे कभी नहीं लोटे माँ की भी उसे धुंदली सी याद है की बहुत बीमार थी जब बहुत सारे लोग उने अपने कंधे में उठा शायद शमसान ही ले गए होनगे वह तब बहुत छोटा था पापा ने दूसरी शादी करने के चलते उसे शायद त्याग दिया था शायद उसकी उम्र 5 या 6 साल की रही होगी जब बहुत देर तक उसके पापा उसे लेने नहीं आये तो राणा रोने लगा तब वहां मौजूद किसी ने भी उससे सहानुभूति नहीं दिखाई और उसे मुसीबत समझ उसे सके हाल पर ही छोड़ दिया परन्तु वहां एक भिखारी था जिसे शायद उस पैर दया आई थी या वह चाहता था की उसके बुढ़ापे में कोई तो उसका सहारा हो तो उसने उसे कुछ समय के लिए पाला था कुछ समय के लिए इस लिए क्यूंकि 8 साल बाद उस भिखारी की अधिक बूढ़े होने के कारन म्रत्यु हो गयी भिखारी के मरने से राणा की स्तिथि में बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि राणा तब भी अपना खाने पीने के लिए बाज़ार के होटले में बर्तन ढोने और ग्राहकों को चाय देने का कम करता था हां खाना वो केवल दो समय ही खता था दोपहर और शाम को होटल मे शुरू में तो सब उसे छोटू ही बुलाया करते थे एक दिन की बात है की जब वह छुट्टी के दिन जब सारा बाज़ार बंद रहता है वह घूम रहा था तो उसने देखा की छोटा सा घोड़े के बच्चा गड्डे में फसा हुवा है और उसका एक पैर बहुत जख्मी है उसने उस घोड़े के बच्चे को बहार निकला और अपने साथ ले आया उसने नहीं पता था की होटले का मालिक उसको क्या तनखा देता था क्यूंकि वह तो वह भिखारी ले लिया करता था और जब उसके तनखा के पैसे भिखारी को मिलते थे तो पास के गाँव में बन्ने वाली कच्ची शराब राणा से मंगवा कर पिया करता था भिखारी के मरने के बाद उसको विरासत में वह जगह जरूर मिल गयी थी जहाँ वह रहता था आज राणा बहुत खुश है क्यूंकि उसके होटल मालिक ने उसको तनख्वा के रूप में उसे तीन हजार रूपये दिए इतने पैसे राणा ने इससे पहले कभी भी नहीं देखे थे उसने अपने लिए अच्छे कपडे खरीदे और एक अच्छे से जूते जब से वह घोड़े का बाचा राणा के पास आया था राणा को हमेसा एक अच्छा अहसास और सकून मिलता था बात भी सही थी जब से वह घोडे का बच्चा आया था उसके जिदगी में सकरात्मक बदलाव आते रहे वह भिखारी की ...
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あらすじ・解説

राणा को बहुत धुंदली से याद है वह बरसात का मौसम था जब उसके पापा उसको उस छोटे से कसबे के टैक्सी स्टैंड के पास बैठा कर उसे यह बोल गए थे की वो अभी आ रहे हैं उसके लिए चोलेट लेकर और फिर वे कभी नहीं लोटे माँ की भी उसे धुंदली सी याद है की बहुत बीमार थी जब बहुत सारे लोग उने अपने कंधे में उठा शायद शमसान ही ले गए होनगे वह तब बहुत छोटा था पापा ने दूसरी शादी करने के चलते उसे शायद त्याग दिया था शायद उसकी उम्र 5 या 6 साल की रही होगी जब बहुत देर तक उसके पापा उसे लेने नहीं आये तो राणा रोने लगा तब वहां मौजूद किसी ने भी उससे सहानुभूति नहीं दिखाई और उसे मुसीबत समझ उसे सके हाल पर ही छोड़ दिया परन्तु वहां एक भिखारी था जिसे शायद उस पैर दया आई थी या वह चाहता था की उसके बुढ़ापे में कोई तो उसका सहारा हो तो उसने उसे कुछ समय के लिए पाला था कुछ समय के लिए इस लिए क्यूंकि 8 साल बाद उस भिखारी की अधिक बूढ़े होने के कारन म्रत्यु हो गयी भिखारी के मरने से राणा की स्तिथि में बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि राणा तब भी अपना खाने पीने के लिए बाज़ार के होटले में बर्तन ढोने और ग्राहकों को चाय देने का कम करता था हां खाना वो केवल दो समय ही खता था दोपहर और शाम को होटल मे शुरू में तो सब उसे छोटू ही बुलाया करते थे एक दिन की बात है की जब वह छुट्टी के दिन जब सारा बाज़ार बंद रहता है वह घूम रहा था तो उसने देखा की छोटा सा घोड़े के बच्चा गड्डे में फसा हुवा है और उसका एक पैर बहुत जख्मी है उसने उस घोड़े के बच्चे को बहार निकला और अपने साथ ले आया उसने नहीं पता था की होटले का मालिक उसको क्या तनखा देता था क्यूंकि वह तो वह भिखारी ले लिया करता था और जब उसके तनखा के पैसे भिखारी को मिलते थे तो पास के गाँव में बन्ने वाली कच्ची शराब राणा से मंगवा कर पिया करता था भिखारी के मरने के बाद उसको विरासत में वह जगह जरूर मिल गयी थी जहाँ वह रहता था आज राणा बहुत खुश है क्यूंकि उसके होटल मालिक ने उसको तनख्वा के रूप में उसे तीन हजार रूपये दिए इतने पैसे राणा ने इससे पहले कभी भी नहीं देखे थे उसने अपने लिए अच्छे कपडे खरीदे और एक अच्छे से जूते जब से वह घोड़े का बाचा राणा के पास आया था राणा को हमेसा एक अच्छा अहसास और सकून मिलता था बात भी सही थी जब से वह घोडे का बच्चा आया था उसके जिदगी में सकरात्मक बदलाव आते रहे वह भिखारी की ...

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