• Ch7-5. देह पाप की व्यवस्था की सेवा करती है (रोमियों ७:२४-२५)

  • 2022/12/08
  • 再生時間: 33 分
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Ch7-5. देह पाप की व्यवस्था की सेवा करती है (रोमियों ७:२४-२५)

  • サマリー

  • आपका विश्वास का जीवन कैसा है? “आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है” (मत्ती २६:४१)। क्या आप ऐसे नहीं है?
    बाइबल हमें यह भी बताती है, “इसलिये मैं आप बुध्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।” और वह व्यवस्था हैं जो हम पर हावी हैं। हमारा हृदय परमेश्वर से प्रेम करने और सत्य से प्रेम करने के लिए बना है, परन्तु शरीर के लिए पाप की व्यवस्था की सेवा करना स्वाभाविक ही है। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि हृदय सुसमाचार और उसकी धार्मिकता की सेवा करता है, जबकि शरीर केवल पाप करता है।

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あらすじ・解説

आपका विश्वास का जीवन कैसा है? “आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है” (मत्ती २६:४१)। क्या आप ऐसे नहीं है?
बाइबल हमें यह भी बताती है, “इसलिये मैं आप बुध्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।” और वह व्यवस्था हैं जो हम पर हावी हैं। हमारा हृदय परमेश्वर से प्रेम करने और सत्य से प्रेम करने के लिए बना है, परन्तु शरीर के लिए पाप की व्यवस्था की सेवा करना स्वाभाविक ही है। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि हृदय सुसमाचार और उसकी धार्मिकता की सेवा करता है, जबकि शरीर केवल पाप करता है।

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