कई बार हम अपने दोस्तों को, अपने अपनों को, बता नहीं पाते हैं कि वह कितने जरूरी है हमारे लिए। आज के जमाने में हर इंसान किसी ना किसी तरह की जंग लड़ रहा है और कभी-कभी वह बहुत हारा हुआ सा महसूस करता है, ऐसे समय हमारा ही फर्ज बनता है कि हम हाथ थाम ले। और हाथ थाम के बताएं कितने जरूरी है वह हमारे लिए जिंदगी कितनी हसीन है क्योंकि वह हमारी जिंदगी में। आपसे निवेदन है अगर आपको यह अच्छा लग रहा है कृपया अपने उन सभी दोस्तों के साथ उन सभी अपनों के साथ इसे साझा करें जिन्हें आप बताना चाहते हैं कि तुम जरूरी हो मेरे लिए अपने लिए और अपने अपनों के लिए। कितना मुश्किल लगता है ना, जब आपका कोई अपना बहुत बहुत ही करीबी, अजीज, कि जीने की इच्छा खत्म हो जाए। उसे ऐसा एहसास हो कि क्या ही कर लूंगा? जी कर? या ऐसी जिंदगी से तो मौत भली? या शायद जीवन कुछ चल नहीं रहा वैसे जैसे चलना चाहिए और ऐसा लगता है कभी नहीं चलेगा वैसे जैसे चलाना चाहता हूं! ऐसा जीवन जीने का तो नहीं सोचा था, सब कुछ निरर्थक सा लगता है! या शायद किसी की उम्मीदों पर खरा नहीं उत्तरा हो और अपनी पर भी नहीं। मैं नहीं मानती कि हम में से कोई ऐसा कोई नहीं जो कभी बिखरा ना हो बिखरते तो हम सभी हैं कभी अंदर से,कभी बाहर से, पर हां एक उम्मीद हमेशा रहती है कि देर सवेर सब ठीक ही हो जाएगा समय कभी एक सा नहीं रहता। उस अपने का क्या करें जिसका सपना बिखर गया है। जो यह मान बैठा है कि अब बचा ही नहीं कुछ जीवन में। जिसे एहसास हो गया है कि मेरे होने या ना होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मेरे कारण परेशानियां बढ़ती है और ना जाने क्या-क्या? कई बार कुछ बहुत ही करीबी "शुभचिंतक" इतना तोड़ देते हैं– इतना तोड़ देते हैं, कि, जुड़ना मुश्किल हो जाता है। हमेशा डटकर खड़े रहना मुश्किल हो जाता है और खड़े-खड़े थक भी तो जाते हैं,सैनिकों को भी तो टुकड़िया भेजी जाती है, तुम बहुत देर तैनात हो लिए , अब कुछ देर सुस्ता लो तब तक मोर्चा हम संभालते ! यह वही अपने हैं ,जो डटकर खड़े रहकर थोड़े से थक गए और बता नहीं पा रहे हैं,और नाबताते हुए, हार मान बैठे हैं! कैसे समझाए कि आप ना होते हमारे जीवन में, तो शायद जीवन कुछ और ही होता। आपके होने से हमें फर्क पड़ता है और ना होने से भी पड़ेगा! आप मायने रखते हो, हो सकता है हम आपको बता नहीं पाए हो, वैसे भी, यहां ज्यादा प्यार जताने का...
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