Pakiza

著者: AAKIL AHMED SAIFI
  • サマリー

  • इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है | वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है | ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे | स्वागत है आपका पाकीज़ा में |
    Copyright 2021 AAKIL AHMED SAIFI
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あらすじ・解説

इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है | वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है | ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे | स्वागत है आपका पाकीज़ा में |
Copyright 2021 AAKIL AHMED SAIFI
エピソード
  • Shayad
    2021/05/03

    इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है | इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ – बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है | मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ | मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है |

    वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ | मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ | मैं कभी – कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ | आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है |

    ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ | मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे | मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे | कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले | जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे |

    स्वागत है आपका पाकीज़ा में |

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