『Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 26』のカバーアート

Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 26

Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 26

無料で聴く

ポッドキャストの詳細を見る

このコンテンツについて

यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.26 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण "सत्" शब्द के महत्व और इसके उपयोग का वर्णन करते हुए कहते हैं:

"‘सत्’ शब्द का उपयोग सद्भाव (सत्प्रवृत्ति) और साधुभाव (पवित्रता और सच्चाई) के संदर्भ में किया जाता है। हे पार्थ (अर्जुन), यह शब्द प्रशंसनीय और श्रेष्ठ कर्मों में भी प्रयोग होता है।"

भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह स्पष्ट करते हैं कि ‘सत्’ सत्य, शुद्धता और उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह शब्द उन कर्मों को इंगित करता है जो धर्म, सत्य और आध्यात्मिकता के अनुरूप होते हैं। ‘सत्’ का प्रयोग उन कार्यों के लिए होता है जो समाज और आत्मा के कल्याण के लिए किए जाते हैं।

#BhagavadGita #Krishna #OmTatSat #SatBhava #GitaShloka #SpiritualWisdom #VirtuousActions #SelfRealization #DivineWisdom #Sattva #HolisticLiving #SpiritualAwakening #TruthAndPurity #EternalTruth #PositiveKarma

Here are some hashtags you can use for this shloka:

Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 26に寄せられたリスナーの声

カスタマーレビュー:以下のタブを選択することで、他のサイトのレビューをご覧になれます。