ओ, देस मेरे, तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के? तेरी धूप से रोशन, तेरी हवा पे ज़िंदा तू बाग़ है मेरा, मैं तेरा परिंदा है अर्ज़ ये दीवाने की, जहाँ भोर सुहानी देखी एक रोज़ वहीं मेरी शाम हो कभी याद करे जो ज़माना, माटी पे मर-मिट जाना ज़िक्र में शामिल मेरा नाम हो ओ, देस मेरे, तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के? तेरी धूप से रोशन, तेरी हवा पे ज़िंदा तू बाग़ है मेरा, मैं तेरा परिंदा आँचल तेरा रहे, माँ, रंग-बिरंगा, ओ-ओ ऊँचा आसमाँ से हो तेरा तिरंगा जीने की इजाज़त दे-दे या हुक्म-ए-शहादत दे-दे मंज़ूर हमें जो भी तू चुने रेशम का हो वो दुशाला या कफ़न सिपाही वाला ओढ़ेंगे हम जो भी तू बुने ओ, देस मेरे, तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़ के? तेरी धूप से रोशन, तेरी हवा पे ज़िंदा तू बाग़ है मेरा, मैं तेरा परिंदा
続きを読む
一部表示