エピソード

  • Episode 6 राघोजी भांगरे
    2023/05/20

    अंग्रेजों ने ⁠सह्याद्री⁠ के लोगों को गुलाम बना लिया। लोगों ने साहूकारों से धन उधार लेना शुरू कर दिया। मुद्रा के बदले मे लोगों से भूमि हथियाना शुरू कर दिया। इसलिए राघोजी भांगरे ने ⁠ब्रिटिश⁠ के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया। इसके बाद राघोजी भांगरे ने ब्रिटिश ⁠खजाना⁠ कई बार और लोगों को दिया। राघोजी भांगरे ने ब्रिटिश शासन से अपने क्षेत्र को मुक्त घोषित कर दिया।⁠⁠

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  • Episode 5 राणा पूंजा भील
    2023/05/19

    मेरे प्रिय भाइयों और बहनों को आज हम मसीहा 'वीर शिरोमणि राणा पूंजा' भील के इतिहास के बारे में जानने वाले है। वीर राणा पूंजा भील एक ऐसे नायक थे जिनके पराक्रम से दुश्मन भी थर-थर कांपते थे। ये भीलो के ही नहीं अपितु पूरे देश के एक महान क्रांतिकारी हुए है। इन्होंने अपने जीवन में कभी हार स्वीकार नहीं की थी

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    3 分
  • Episode 4 खाज्या नायक
    2023/05/18

    आज की युवा पीढ़ी उन अनगिनत वीर योद्धाओं के बारे में नहीं जानती जिन्होंने माँ भारती को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया क्योंकि चंद चापलूस और झोलाछाप इतिहासकारों नें एक ही परिवार के गुण गाने में अपनी कलमों का उपयोग किया | यही कारण है कि जिन महान वीर हुतात्माओं के कारण देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की उनके शोर्य, पराक्रम और बलिदान से अधिकांश देशवासी, खासकर वर्तमान युवा पीढ़ी परिचित ही नहीं है | आइये आज आप सभी का परिचय कराते है एक ऐसे ही वीर और महान योद्धा खाज्या नायक से जिन्होंने मंगल पाण्डेय के समान ब्रिटिश आर्मी से बगावत कर अमरता को प्राप्त किया |

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    5 分
  • अमर शहीद वीर बाला कालीबाई
    2023/05/17

    डूंगरपुर की भील बालिका काली बाई ने गुरुजी को बचाने दे दिए थे प्राण

    पुलिस गुरुजी सेंगाभाई को घसीटकर ले जाने लगी तो कालीबाई ने दौड़कर रस्सी काटकर अपने गुरुजी को बचाया ही नहीं बल्कि हंसिया लेकर पुलिस को ललकारा।

    ऐतिहासिक पटल पर गांव रास्तापाल, जिला डूंगरपुर, राजस्थान की पहचान अमर शहीद वीर बाला कालीबाई के नाम से की जाती है। आदिवासी समुदाय भील के सोमा भाई के घर में वीर काली बाई का जन्म जून 1935 में माता नवली की कोख से हुआ। मात्र 12 वर्ष की उम्र में इस क्रांतिकारी बाला ने 19 जून 1947 को जागीरदारों व अंग्रेजों के शोषण के विरूद्ध बहादुरी की एक जोरदार मिसाल कायम कर आदिवासी समाज में शिक्षा की अलख जगाई


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    5 分
  • वीरांगना लीपा
    2023/05/16

    वीरांगना लीपा को हम अंडमान की पना कह सकते हैं, जिसने मातृभूमि के सम्मान के लिए अपने गर्भस्थ शिशु को बलिदान कर दिया। अंडमान में 17 मई 1859 को अंग्रेजों और अंडमान की जनजातियों के बीच एबरडीन का युद्ध हुआ। 15 हजार अंडमानियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध प्रारंभ किया, परंतु अंडमानियों की सारी रणनीति की जानकारी लीपा के पति विश्वासघाती दूधनाथ तिवारी ने अंग्रेजों को दे दी। अंडमानी युद्ध हार गए। लीपा ने दूधनाथ के गर्भ को नष्ट करके अपने प्रखर राष्ट्रवाद का परिचय दिया।


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    7 分
  • Unveiling Legends: The Hidden Gems of Tribal Tales
    2023/05/15
    आपका स्वागत है प्रिय श्रोताओं के सामरिक और प्रभावशाली युग में! हमारा आज का पॉडकास्ट एक अनोखा दृष्टिकोण लेकर आपके सामने है जो भारतीय उपमहाद्वीप के एक अत्यंत महत्वपूर्ण और गर्व का विषय है - \'अनुसूचित जनजाति के विद्रोही सेनानी।\' आरंभिक समयों से ही, भारतीय उपमहाद्वीप विविधताओं का घर रहा है। यहाँ कई जनजातियाँ रहती हैं, जिन्हें अनुसूचित जनजाति कहा जाता है। इन जनजातियों के लोगों ने वर्षों से लड़ाई और संघर्ष करके अपने अधिकारों के लिए अद्वितीय योगदान दिया है। हमारे प्रिय श्रोताओं, इस पॉडकास्ट के माध्यम से, हम उन्हीं वीर योद्धाओं के बारे में बात करेंगे, जो अपने जीवन और साहसिकता के माध्यम से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। हम जानेंगे कि कौन-कौन से विप्लवी नेताओं ने अपने जीवन का खतरा उठाकर, उन्हें प्रशासनिक अत्याचार, सामाजिक असमानता और स्वाधीनता के लिए लड़ाई लड़ी?
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