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サマリー
あらすじ・解説
इस वीडियो में हम श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 18 के श्लोक 21 का गहन अध्ययन करेंगे, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण राजसिक ज्ञान की विशेषताओं का वर्णन करते हैं। राजसिक ज्ञान वह है जो सभी प्राणियों में अलग-अलग गुण, रूप और स्वभाव देखता है, और उसमें एकता का बोध नहीं होता। ऐसा ज्ञान व्यक्ति को भिन्नता में बांधता है और आत्मिक एकता से दूर रखता है। जानें इस श्लोक के माध्यम से, कैसे यह दृष्टिकोण व्यक्ति को सीमित दृष्टिकोण में बांधता है।
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