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サマリー
あらすじ・解説
इस वीडियो में हम श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 18 के श्लोक 22 का अध्ययन करेंगे, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण तामसिक ज्ञान की विशेषताओं का वर्णन करते हैं। तामसिक ज्ञान वह है जो किसी एक विषय या कार्य में अनावश्यक रूप से आसक्त रहता है, बिना कारण या सत्य की गहरी समझ के। यह ज्ञान सीमित और असत्य पर आधारित होता है, जिससे व्यक्ति वास्तविकता के गहन अर्थ को नहीं समझ पाता। जानें इस श्लोक के माध्यम से तामसिक ज्ञान के प्रभाव और इसके गुणों को विस्तार से।
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