• Death Rehearsal I मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)
    2023/12/31
    तू उन्हें बाढ़ की भाँति बहा देता है; वे नींद के झोंके या भोर को उगने वाली घास के समान होते हैं: वह भोर को लहलहाती और बढ़ती है, परन्तु साँझ को मुर्झाकर सूख जाती है . . . अतः हमको अपने दिन गिनना सिखा कि हम बुद्धि से भरा मन पाएँ। (भजन 90:5-6,12) मेरे लिए, वर्ष का अन्त मेरे जीवन के अन्त के समान होता है। और 31 दिसम्बर को रात में 11:59 का समय मेरी मृत्यु के क्षण के समान होता है। वर्ष के 365 दिन एक लघु जीवनकाल के समान होते हैं। और ये अन्तिम घण्टे मानो अस्पताल के उन अन्तिम दिनों के समान हैं जब डॉक्टर ने मुझे बताया हो कि मेरा अन्त बहुत ही निकट है। और इन अन्तिम घण्टों में, इस वर्ष का जीवनकाल मानो मेरी आँखों के सामने से बीत कर चला जाता है, और फिर मैं इस अपरिहार्य प्रश्न का सामना करता हूँ कि: क्या मैंने अपना जीवन अच्छी रीति से जिया? क्या यीशु ख्रीष्ट जो धर्मी न्यायी है, कहेगा, “शाबाश, हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास” (मत्ती 25:21)? मैं बहुत ही सौभाग्शाली हूँ कि मेरा वर्ष इस रीति से समाप्त होता है। और मेरी प्रार्थना है कि वर्ष के अन्त का महत्व आपके लिए भी ऐसा ही हो। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली इसलिए अनुभव करता हूँ क्योंकि स्वयं के मरण पर पूर्व-परीक्षण करना अत्याधिक फलदायक है। वर्ष में एक बार अपने जीवन के अन्तिम दृश्य की तैयारी का करना अत्यन्त लाभकारी है। यह अत्यन्त लाभकारी इसलिए है क्योंकि 1 जनवरी की सुबह एक नए जीवनकाल के कगार पर, फिर से नई रीति से आरम्भ करने के लिए हममें से अधिकाँश लोग अभी भी जीवित होंगे। पूर्वाभ्यासों की अच्छी बात यह होती है कि वह आपको दिखाते हैं कि आप कहाँ पर दुर्बल हैं, आप तैयारी में कहाँ चूक गए थे; और इस कारण वह आपको वास्तविक श्रोताओं के सामने होने वाले वास्तविक कार्यक्रम से पूर्व परिवर्तिन करने का कुछ समय प्रदान करते हैं। मेरा मानना है कि आप में से कुछ लोगों के लिए मृत्यु का विचार इतना घिनौना, इतना विषादपूर्ण, इतना दुःख और पीड़ा से भरा हुआ है कि आप इसे अपने मन से बाहर रखने का पूरा प्रयास करते हैं, विशेषकर छुट्टियों के समय। मेरे विचारानुसार यह मूर्खता है और आप स्वयं को बहुत हानि पहुँचा रहे हैं। मैंने इस बात को पाया है कि मेरे स्वयं के जीवन के लिए कुछ ही बातें है जो इस बात से अधिक जीवन परिवर्तित करने वाली होती हैं कि मैं समय-समय पर ...
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  • Outfitted And Empowered I तैयार और सशक्त किए गए
    2023/12/30
    अब शान्तिदाता परमेश्वर जिसने भेड़ों के महान् रखवाले प्रभु यीशु को सनातन वाचा के लहू द्वारा मृतकों में से जीवित कर दिया, तुम्हें सब भले गुणों से परिपूर्ण करे, जिस से तुम उसकी इच्छा पूरी करो, और जो कुछ उसकी दृष्टि में प्रिय है, वह यीशु ख्रीष्ट के द्वारा हमारे अन्दर पूरा करे। उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। (इब्रानियों 13:20-31) ख्रीष्ट ने अनन्त वाचा के लहू को बहाया। इस सफल छुटकारे के द्वारा उसने मृतकों में से स्वयं के पुनरुत्थान की आशिष को प्राप्त किया। यह यूनानी भाषा में हिन्दी भाषा से अधिक स्पष्ट है, और यद्यपि यहाँ भी यह पर्याप्त रीति से स्पष्ट है: “परमेश्वर ने . . . प्रभु यीशु को सनातन वाचा के लहू द्वारा मृतकों में से पुनः जीवित ले आया है।” वह यीशु — जो वाचा के लहू द्वारा जीवित किया गया — अब हमारा जीवित प्रभु और चरवाहा है। और इस सब के कारण, परमेश्वर दो कार्य करता है: वह हमें सब भले गुणों से सुसज्जित करता है, जिस से हम उसकी इच्छा पूरी करें, और वह अपनी दृष्टि में प्रिय बातों को हमारे अन्दर पूरा करता है। यीशु के लहू द्वारा प्राप्त की गई “सनातन वाचा” नई वाचा है। और नई वाचा की प्रतिज्ञा यह है: “मैं अपनी व्यवस्था उनके मनों में डालूँगा और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा” (यिर्मयाह 31:33)। इसलिए, इस वाचा का लहू न केवल परमेश्वर द्वारा उसकी इच्छा को पूरी करने हेतु हमारे सुसज्जित होने के कार्य को सुनिश्चित करता है, परन्तु हम में परमेश्वर के कार्य को भी सुनिश्चित करता है जिससे कि वह सुसज्जित करने का कार्य सफल हो सके। परमेश्वर की इच्छा अनुग्रह के साधन के रूप में केवल किसी पत्थर या पत्र पर नहीं लिखी हुई है। यह तो हमारे अन्दर कार्य करती है। और इसका प्रभाव यह है: हम विभिन्न रीतियों से परमेश्वर को प्रसन्न करने के विषय में अनुभूति करते हैं, सोचते हैं और कार्य करते हैं। हमें अभी भी आज्ञा मिली है कि हम उसके द्वारा हमें दिए गए संसाधनों का उपयोग करें: “डरते और काँपते हुए अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ।” परन्तु इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें इसका कारण बताया जाता है: “क्योंकि स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है” (फिलिप्पियों 2:12-13)। यदि हम परमेश्वर ...
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  • A Horrible Destiny I एक भयानक गन्तव्य
    2023/12/29
    . . . यीशु जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है। (1 थिस्सलुनीकियों 1:10) क्या आपको वह समय स्मरण है जब आप बचपन में खो गए थे, या एक खड़ी चट्टान पर फिसल रहे थे, या डूबने वाले थे? फिर अचानक आपको बचा लिया गया। आप किसी प्रकार से जीवित बच गए। आप उसके विषय में सोचते हुए काँप रहे थे जिसे आपने लगभग खो ही दिया था। आप प्रसन्न थे। ओह, अत्यधिक प्रसन्न और धन्यवादी भी। और आप आनन्द के साथ काँप उठे। मैं वर्ष के अन्त में परमेश्वर के प्रकोप से अपने बचाए जाने के विषय में ऐसा ही अनुभव करता हूँ। हमारे घर में दिनभर क्रिसमस के दिन अलाव में आग जलती रही। कभी-कभी कोयले इतने गर्म थे कि जब मैं और आग बढ़ाने के लिए लकड़ी डालता था तो मेरे हाथ में पीड़ा होती थी। मैं नरक में पाप के विरुद्ध परमेश्वर के प्रकोप के भयानक विचार के विषय में सोचकर पीछे हटा और काँप उठा। ओह, वह वर्णन से बाहर कितना भयानक होगा! बड़े दिन की दोपहर मैं एक ऐसी बहन से मिला जिसके शरीर का 87 प्रतिशत से अधिक भाग जल चुका था। वह अगस्त से अस्पताल में ही है। मेरा हृदय उसके लिए बहुत दुःखी हुआ। किन्तु यह कितनी ही अद्भुत बात थी कि मैं उसको परमेश्वर के वचन से आने वाले युग में उसके लिए एक नए शरीर की सुदृढ़ आशा को देने पाया! परन्तु जब मैं वहाँ से वापस आता तो न केवल इस जीवन में उसकी पीड़ा के विषय में सोच रहा था, किन्तु उस चिरस्थायी पीड़ा के विषय में भी सोच रहा था जिससे मैं यीशु के द्वारा बचाया गया हूँ। मेरे साथ मेरे अनुभव को समझने का प्रयास करें। क्या ऐसे काँपते हुए आनन्द के साथ वर्ष को समाप्त करना उचित होगा? पौलुस आनन्दित था कि “यीशु …हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है” (1 थिस्सलुनीकियों 1:10)। उसने चेतावनी दी “परन्तु जो…सत्य को नहीं मानते…उन पर प्रकोप और क्रोध पड़ेगा” (रोमियों 2:8)। और “क्योंकि इन्हीं [यौन अनैतिकता, अशुद्धता और लोभ] के कारण आज्ञा न मानने वालों पर परमेश्वर का प्रकोप पड़ता है” (इफिसियों 5:6)। यहाँ वर्ष के अन्त में, मैं पूरी बाइबल को पढ़कर समाप्त करने की अपनी यात्रा को पूरी कर रहा हूँ और अन्तिम पुस्तक प्रकाशितवाक्य पढ़ रहा हूँ। यह परमेश्वर के विजय की, और उन सभी के लिए अनन्त आनन्द की महिमामय नबूवत है “जो जीवन का जल बिना मूल्य” लेते हैं (प्रकाशितवाक्य 22:17)। कोई भी आँसू नहीं होंगे, कोई भी पीड़ा नहीं होगी, ...
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  • Glory Is The Goal I महिमा ही लक्ष्य है
    2023/12/28
    उसी के द्वारा विश्वास से उस अनुग्रह में जिसमें हम स्थिर हैं, हमने प्रवेश पाया है, और परमेश्वर की महिमा की आशा में हम आनन्दित होते हैं। (रोमियों 5:2) परमेश्वर की महिमा को देखना ही हमारी परम आशा है। “परमेश्वर की महिमा की आशा में हम आनन्दित होते हैं” (रोमियों 5:2)। परमेश्वर “अपनी महिमा की उपस्थिति में तुम्हें निर्दोष और आनन्दित करके खड़ा कर सकता है” (यहूदा 24)। “वह अपनी महिमा का धन दया के उन पात्रों पर प्रकट करेगा, जिन्हें उसने पहले से ही अपनी महिमा के लिए तैयार किया था” (रोमियों 9:23)। वह “तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाता है” (1 थिस्सलुनीकियों 2:12)। “उस धन्य आशा की, अर्थात् अपने महान परमेश्वर यीशु ख्रीष्ट उद्धारकर्ता की महिमा के प्रकट होने की प्रतीक्षा करते हैं” (तीतुस 2:13)। यीशु, अपने सम्पूर्ण मनुष्यत्व और कार्य में परमेश्वर की महिमा का देहधारण और परम प्रकाशन है। “वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व का प्रतिरूप है” (इब्रानियों 1:3)। यीशु ने यूहन्ना 17:24 में यह प्रार्थना की: “हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें . . . वे भी मेरे साथ रहें कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें।” “इसलिए मैं जो तुम्हारा सह-प्राचीन हूँ, ख्रीष्ट के दुःखों का साक्षी हूँ और उस प्रकट होने वाली महिमा का भी सहभागी हूँ, मैं तुम्हारे मध्य प्राचीनों को प्रोत्साहित करता हूँ” (1 पतरस 5:1)। “सृष्टि स्वयं भी विनाश के दासत्व से मुक्त होकर परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतन्त्रता प्राप्त करे” (रोमियों 8:21)। “हम परमेश्वर के उस ज्ञान के रहस्य का वर्णन करते हैं अर्थात् उस गुप्त ज्ञान का जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया” (1 कुरिन्थियों 2:7)। “हमारा पलभर का यह हल्का-सा क्लेश एक ऐसी चिरस्थायी महिमा उत्पन्न कर रहा है जो अतुल्य है।” (2 कुरिन्थियों 4:17)। “जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है” (रोमियों 8:30)। ख्रीष्ट के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर की महिमा को देखना और उसका भाग होना हमारी परम आशा है। ऐसी आशा, जिसे हम वास्तव में जानते हैं और बहुमूल्य मानते हैं, वह हमारे वर्तमान मूल्यों और चुनावों और कार्यों पर एक विशाल और निर्णायक प्रभाव डालता है। परमेश्वर की महिमा को जानें। परमेश्वर की महिमा और ख्रीष्ट की महिमा का अध्ययन करें। संसार की ...
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  • What Is Your Aim? I आपका लक्ष्य क्या है?
    2023/12/27
    चाहे तुम खाओ या पीओ या जो कुछ भी करो, सब परमेश्वर की महिमा के लिए करो . . .। वचन या कार्य से जो कुछ करो, सब प्रभु यीशु के नाम से करो और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो। (1 कुरिन्थियों 10:31; कुलुस्सियों 3:17) जब आप सवेरे उठते हैं और नए दिन का सामना करते हैं तो आप अपने दिनभर की आशा के विषय में स्वयं से क्या कहते हैं? जब आप दिन के आरम्भ से लेकर दिन के अन्त को देखते हैं, तो आप क्या चाहते हैं कि किन बातों को पूरा हो जाना चाहिए था क्योंकि अब आप वह दिन व्यतीत कर चुके हैं? यदि आप कहते हैं कि, “मैं तो ऐसा सोचता ही नहीं हूँ। मैं तो केवल उठता हूँ और वह करता हूँ जो मुझे करना है,” तो आप अपने आप को अनुग्रह के एक मूल साधन से और मार्गदर्शन और सामर्थ्य और फलदायी और आनन्द के स्रोत से पृथक कर रहे हैं। इन पदों के अतिरिक्त भी, बाइबल में यह स्पष्ट है कि परमेश्वर की इच्छा है कि हम ध्यानपूर्वक अपने दिनों में महत्वपूर्ण बातों के लिए लक्ष्य बनाएँ। आपके लिए परमेश्वर की प्रकट इच्छा यह है कि जब आप सुबह उठते हैं, तो आप पूरे दिन लक्ष्यहीन होकर कार्य न करें जिसमें मात्र परिस्थितियों को यह निर्धारित न करने दें कि आपको क्या कार्य करना है, परन्तु आप लक्ष्य बनाएँगे — अर्थात् आप एक निश्चित प्रकार के उद्देश्य पर ध्यान केन्द्रित करिए। यहाँ पर मैं बच्चों, नवयुवकों, और व्यस्कों — विवाहित, अविवाहित, विधवाओं, माताओं और प्रत्येक व्यवसाय और प्रत्येक कार्य के विषय में बात कर रहा हूँ। लक्ष्यहीनता का सम्बन्ध निर्जीवता से है। मैदान में पड़े सूखे पत्ते किसी भी अन्य वस्तु से अधिक हिल सकते हैं और उड़ सकते हैं — अर्थात् कुत्ते से अधिक, बच्चों से अधिक। जब हवा एक दिशा में बहती है तो वे उसी दिशा में उड़ते हैं। जब हवा दूसरी दिशा में चलती है तो वे उस दिशा में उड़ जाते हैं। वे गिरते हैं, उछलते हैं, कूदते हैं, बाड़े को पार करके जाने का प्रयास करते हैं, परन्तु उनके पास कोई लक्ष्य नहीं है। वे हिलते तो बहुत हैं परन्तु उनमें जीवन नहीं है। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में लक्ष्यहीन होने के लिए नहीं सृजा है, उन निर्जीव पत्तों के समान नहीं जो मैदान में हवा से इधर-उधर उड़ाए जाते हैं। उसने हमें उद्देश्यपूर्ण होने के लिए सृजा है — जिससे कि हमारे पास प्रत्येक दिन के लिए उद्देश्य और ...
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  • How To Contemplate Calamity I आपदा के विषय में कैसे विचार करें
    2023/12/26
    “मृत्यु की लहरों ने मुझे घेर लिया, विनाश की प्रचण्ड धाराओं ने मुझे घबरा दिया . . . परमेश्वर का मार्ग तो सिद्ध है।” (2 शमूएल 22:5, 31)। प्राकृतिक आपदा के कारण अपने दस बच्चों को खोने के पश्चात (अय्यूब 1:19), अय्यूब ने कहा, “यहोवा ने दिया और यहोवा ने लिया: यहोवा का नाम धन्य हो” (अय्यूब 1:21)। पुस्तक के अन्त में परमेश्वर द्वारा उत्प्रेरित (inspired) लेखक उन घटित घटनाओं के विषय में अय्यूब की उस समझ की पुष्टि करता है। वह कहता है कि अय्यूब के भाइयों और बहनों ने “यहोवा द्वारा उस पर लाई गई सब विपत्तियों के विषय में उसे सहानुभूति दिखाकर सान्त्वना दी” (अय्यूब 42:11)। हमारे लिए इसके कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं — नये वर्ष के आरम्भ में हमारे लिए यहाँ कुछ पाठ — जब हम जगत में और अपने जीवनों में विपत्तियों के विषय में विचार करते हैं — जैसे कि वह घातक प्राकृतिक आपदा जो दिसम्बर 26, 2004 में हिन्द महासागर में घटी थी — जो अब तक अभिलेखित सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिसमें 17 लाख लोग निराश्रित हो गए, 5 लाख लोग घायल हुए, और 2.3 लाख से अधिक लोग मारे गए। पाठ #1 - शैतान परम नहीं है; परमेश्वर है। अय्यूब के क्लेश में शैतान का हाथ था, परन्तु उसका हाथ निर्णायक नहीं था। अय्यूब को पीड़ित करने के लिए परमेश्वर ने शैतान को अनुमति दी (अय्यूब 1:12; 2:6)। परन्तु अय्यूब और इस पुस्तक का लेखक परमेश्वर को निर्णायक कारण मानते हैं। जब शैतान ने अय्यूब को फोड़ों से पीड़ित किया, अय्यूब ने अपनी पत्नी से कहा, “क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें?” (अय्यूब 2:10), और लेखक इन शैतानी फोड़ों को “यहोवा द्वारा उस पर लाई गई विपत्तियाँ” कहलाता है (अय्यूब 42:11)। तो, शैतान वास्तविक है। शैतान क्लेश लाता है। परन्तु शैतान परम और निर्णायक नहीं है। वह तो मानो एक पट्टे से बँधा हुआ है। वह परमेश्वर की निर्णायक अनुमति से आगे नहीं जाता है। पाठ #2 - भले ही शैतान 2004 में क्रिसमस के अगले दिन हिन्द महासागर में सुनामी का कारण बना, फिर भी वह 200,000 मृत्युओं का निर्णायक कारण नहीं है; परमेश्वर है। अय्यूब 38:8 और 11 में परमेश्वर सुनामी पर अधिकार रखने का दावा करता है जब वह अय्यूब से आलंकारिक रीति से पूछता है, “जब सागर मानो गर्भ से फूट निकला, तब किसने द्वार बन्द करके उसे रोक दिया . . . और कहा, ‘तू यहीं तक आएगा, इस से आगे नहीं; तथा ...
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  • Three Christmas Presents I क्रिसमस के तीन उपहार
    2023/12/25
    बच्चो, कोई तुम्हें धोखा न दे। जो धार्मिकता का आचरण करता है, वह धर्मी है, ठीक वैसा ही जैसा वह धर्मी है। जो पाप करता है वह शैतान से है, क्योंकि शैतान आरम्भ से ही पाप करता आया है। परमेश्वर का पुत्र इस अभिप्राय से प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य को नष्ट करे। . . . मेरे बच्चो, मैं तुम्हें ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। परन्तु यदि कोई पाप करता है तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात यीशु ख्रीष्ट जो धर्मी है; वह स्वयं हमारे पापों का प्रायश्चित्त है, और हमारा ही नहीं वरन समस्त संसार के पापों का भी। (1 यूहन्ना 3:7–8; 2:1–2) इस असाधारण स्थिति के विषय में मेरे साथ विचार करें। यदि परमेश्वर का पुत्र आपको पाप करने से रोकने हेतु आपकी सहायता के लिए—शैतान के कार्यों को नष्ट करने के लिए—और इस कारण मरने के लिए भी आया था कि जब आप पाप करें, तो कोप सन्तुष्टि (propitiation) उपलब्ध हो, परमेश्वर के प्रकोप का हटाया जाना हो, तो जीवन जीने में इसका आपकेे लिए क्या तात्पर्य होगा? तीन बातों पर ध्यान दें। और इनका हमारे पास होना अद्भुत बात है। मैं उन्हें संक्षेप में क्रिसमस के उपहार के रूप में आपको देता हूँ। उपहार 1: जीवन जीने के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य इसका तात्पर्य है कि आपके पास जीवन जीने के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य है। नकारात्मक रूप से, इसका अर्थ बस यह है कि: पाप मत करो—ऐसा कुछ मत करो जो परमेश्वर को अपमानित करता है। “मैं तुम्हें ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो” (1 यूहन्ना 2:1)। “परमेश्वर का पुत्र इस अभिप्राय से प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य को नष्ट करे” (1 यूहन्ना 3:8)। यदि आप पूछेंगे, “क्या आप हमें नकारात्मक के स्थान पर सकारात्मक रीति से यह बात बता सकते हैं?” इसका उत्तर है: हाँ, इसका सम्पूर्ण सार 1 यूहन्ना 3:23 में दिया हुआ है। यूहन्ना की सम्पूर्ण पत्री का यह एक उत्तम सारांश है। यहाँ एकवचन पर ध्यान दें “आज्ञा”—“उसकी आज्ञा यह है, कि हम उसके पुत्र यीशु ख्रीष्ट के नाम पर विश्वास करें और एक दूसरे से ठीक वैसा ही प्रेम करें जैसी कि उसने हमें आज्ञा दी है।” यूहन्ना के लिए ये दोनों बातें इतनी निकटता से जुड़ी हुई हैं कि वह उन्हें एक ही आदेश कहकर पुकारता है: यीशु पर विश्वास करो और एक दूसरे से प्रेम करो। यही तुम्हारा उद्देश्य है। यही ख्रीष्टीय जीवन का योगफल ...
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  • Two Purposes For Christmas I बड़े-दिन के दो उद्देश्य
    2023/12/24
    बच्चो, कोई तुम्हें धोखा न दे। जो धार्मिकता का आचरण करता है, वह धर्मी है, ठीक वैसा ही जैसा वह धर्मी है। जो पाप करता है वह शैतान से है, क्योंकि शैतान आरम्भ से ही पाप करता आया है। परमेश्वर का पुत्र इस अभिप्राय से प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य को नष्ट करे। (1 यूहन्ना 3:7–8) जब 1 यूहन्ना 3:8 कहता है, “परमेश्वर का पुत्र इस अभिप्राय से प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य को नष्ट करे,” ये “शैतान के कार्य” क्या हैं जो उसके विचार में हैं? इसके सन्दर्भ से इसका उत्तर स्पष्ट हो जाता है। सबसे पहले, 1 यूहन्ना 3:5 एक स्पष्ट समानान्तर है: “तुम जानते हो कि वह इसलिए प्रकट हुआ कि पापों को हर ले जाए।” यह वाक्याँश कि वह इसलिए प्रकट हुआ पद 5 और पद 8 दोनों में आता है। इसलिए सबसे बड़ी सम्भावना यह है कि “शैतान के कार्य” जिनका यीशु विनाश करने के लिए आया था पाप ही हैं। पद 8 का पहला भाग इस बात को सुनिश्चित करता है: “जो पाप करता है वह शैतान से है, क्योंकि शैतान आरम्भ से ही पाप करता आया है।” इस सन्दर्भ में विषय पाप करना है, बीमारी या बिगड़ी गाड़ी या कार्यक्रमों की गड़बड़ी नहीं है। यीशु संसार में आया जिससे कि वह हमें पाप करने से रुके रहने में सक्षम बनाए। हम इसे और भी स्पष्ट रूप से देखने पाते हैं यदि हम इस सत्य को 1 यूहन्ना 2:1 में पाये जाने वाले सत्य के साथ रखते हैं: “मेरे बच्चो, मैं तुम्हें ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो।” यह क्रिसमस के महान् उद्देश्यों में से एक है—देहधारण के महान् उद्देश्यों में से एक (1 यूहन्ना 3:8)। परन्तु एक और उद्देश्य है जो 1 यूहन्ना 2:1–2 में यूहन्ना जोड़ता है, “परन्तु यदि कोई पाप करता है तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् यीशु ख्रीष्ट जो धर्मी है; वह स्वयं हमारे पापों का प्रायश्चित्त है, और हमारा ही नहीं वरन् समस्त संसार के पापों का भी।” परन्तु आइए अब देखें कि इसका क्या अर्थ है: इसका अर्थ है कि यीशु संसार में दो कारणों से प्रकट हुआ था। वह आया कि हम पाप में बने न रहें—अर्थात्, वह शैतान के कार्यों को नष्ट करने के लिए आया (1 यूहन्ना 3:8); और वह इसलिए भी आया कि यदि हम पाप करें, तो वह हमारे पापों का प्रायश्चित्त हो सके। वह एक ऐसे प्रतिस्थापनीय बलिदान के रूप में आया जो हमारे पापों के प्रति परमेश्वर के प्रकोप को दूर करता है। इस दूसरे उद्देश्य का परिणाम...
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